मेरा बचपन
इनसान कितना भी शहर के चकाचौध में मस्त हो जाए। परन्तु जो लोग गांव से जुड़े हैं, उन्हें गाँव की बहुत याद आती है।
मेरा बच्चपन गांव के उन सभी मौज मस्ती से जुड़ा है जो हमारे बच्चे नहीं कर पाते है। गाँव की मिट्टी की खुशबू आज भी रुला देती है। हम बच्चों को बेसब्री से इंतजार रहता था कब शनिवार का स्कूल हाफ डे आयेगा और रविवार पूरे दिन की छुट्टी।
आम के बगिया में जाकर ओल्हा पाती खेलना।फिर टिकोरा की भुजिया बनाना। खूब आपस में बांटकर चटकारे ले खाना। शरबनिया के अमरूद के पेड़ से अमरूद चुराना । अपने घर के पीछे छूप कर खाना।
खेती के समय हेगा पर चढ़ना। घंटों हेगा पर मस्ती करना। पूरे दिन कभी नदी में नहाना, कभी पोखर में नहाना, मच्छली पकड़ना। अपनी सहेलियों के बीच मस्ती। गाँव सच मे तुम्हारी बहुत याद आती है।
आइए इस कविता में गाँव की ओर रुख करते हैं।
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mera bachapan kavita |
Poem
ऐ चुन्नू,ऐ मुन्नू, खरीदो सामान
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Mera bachchpan |
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Mera bachpan kavita |
Dhanybad sir
Dhanybad sir
Lele sabkuch lele bas badle me maa ki god me sula de mera bachpan loutade mera bachpan loutade…
Aap ka bachpan hain aapke man me.Koi usko chin nahi sakta.