Poem On Ratan Tata
देश के प्रति श्री रतन टाटा जी की नई पहल एवं नई सोच I भले ही दुनिया के उद्योग पतियों में नंबर वन पर टाटा जी का नाम नहीं आता होl, परंतु टाटा जी सदैव गरीबों के और देश के हित में तत्पर रहते हैं I
हृदय को झकझोर देने वाली 2मिनिट का विडियो आपने दिनांक 18.02.2020 को शेयर किया। आपने समस्त देश वासियों को महत्वपूर्ण संदेश देते हुए इस नेक कार्य में जुड़ जाने का आह्वान किया है। यह विडियो टाटा trast ki pahal ” mishan garima
इस विडियो में बहादुर सफाई कर्मचारियों के बच्चों की मन की दुविधा को दर्शाया गया है।आप सभी इस वीडियो को जरूर देखें I वीडियो सुनते ही पल भर में आखें नम हो जाएगी I साथियों स्वार्थ बस कोई कुछ भी करे I पर अपनों का खोने का ग़म अपनों को ही होता हैl
मैंने इस वीडियो को देखने के बाद अपने मन के उद्गार को रोक नहीं पायाl हृदय द्रवित हो गयाl उंगलियां बेचैन हो गई lतब मैंने कलम उठाई और मन: स्थिति को शब्दों में बांधकर कविता का रूप दिया है।मुझे उम्मीद है आप को मेरी लेखनी पसंद आएगी I सभी का प्यार एवं टिप्पणी अपेक्षित है।
Tatan Tata ek nek dil inshan hai
कविता
नाम रतन काम रतन
सोच रतन दिल है रतन
तू है भारती का रतन
तेरे मनन को है नमन
आज तक ना कोई किया
पहल ऐसा तू जो किया
नेता हो या व्यापारी
पहले अपना पेट भरते
नीचे वालों पर कभी न
कोई अपना नज़र फेरते
सीन शुरु छात्र बोला
मेरा बाबा देश चालाता
बात सुन सब चौक गये
क्या बोला भौचक रह गये
मेरा बाबा नेता नहीं, पुलिस नहीं,
नहीं आर्मी का जवान
काम पर अगर न जाये
रुक जायेगा भारत महान
मेरे बाबा घर घर जाते
कुड़ा कचड़ा सबका लाते
आगे सुनो कचड़ा देखो
ना नाले में कचड़ा फेको
व्यक्त उस बालक ने किया
जब अपने मन की व्यथा
दिल दहल जाता जब
गटर में मेरा बाबा जाता
डर लगता है मेरा बाबा
हार जायेगा बिमारी से
शायद ना लौट घर आये
मर जायेगा बिमारी से
अरे रहम करो दुनिया वालों
गीला कचड़ा सुखा कचड़ा
रखो अलग अलग करके
कई जिन्दगियां बच जायेगी
देखो जरा अमल करके ।
तू नहीं सिर्फ अपनी माँ का रतन
तू है भारत मां का रतन।
तू है भारत मां का रतन।
तू है भारत मां का रतन।
भारत माता की जय
रतन टाटा महान, salute
नोट – अपने देश में बहुत बड़े बड़े व्यापारी नेता और कई सरकारें आई गई। किसी का भी ध्यान इन बहादुर सफाई कर्मचारियों की ओर नहीं गया है। आप महान हस्ती एवम आपके जज्बे को सलाम l जो सबका ध्यान आकर्षित कर दिया है।
धन्यवाद पाठकों ,
रचना- कृष्णावती कुमारी
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