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Maha Shivratri Ka Mahatv aur poem

 Mahashivratri ka mahatv and poem|महाशिवरात्री का महत्व और कविता।

Maha Shivratri 2020 ka mahatv and poem

Maha Shivratri 2020 poem

नमस्कार पाठकों,

Maha Shivratri Ka Mahatv aur poem- महाशिवरात्रि  हिन्दूओं के सभी त्योहारों में सबसे महत्वपूर्ण एवं सर्व श्रेष्ठ त्योहार है। यह प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।

इस दिन साधु संत और सभी उम्र के लोग ब्रत रखते हैं।
स्त्रीयां परिवार कल्याण और अपने पति के लम्बी उम्र के  लिए कामना करती हैं। वहीं कुवांरी कन्या सुन्दर और   शांत  वर प्राप्त हों के लिए ब्रत रखतीं हैं। पूरे विधि   विधान  से शंकर जी की सभी नर नारी पूजा अर्चना   करते हैं

मान्यता है कि महाशिव रात्रि  के दिन शिव और शक्ति की शादी हुई थी। इस  दिन शिव भक्त शंकर और पार्वती की शादी का धूम धाम से उत्सव  मनाते है। इसी दिन शक्ति और शिव का मिलन हुआ था।

इसी दिन भगवान शिव वैराग्य  छोड़कर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश किये थे। इसीलिए कुंवारी कन्यायें इस दिन उपवास करती है और भगवान शिव की ध्यानपूर्वक आराधना करती हैं।

औघड़दानी भोले शिवरात्रि के दिन एक लोटा जल   चढा़ने  से अपने भक्तो पर प्रसन्न हो जाते है। और   भक्तो  की सारी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।

   पूजन विधि –

*  पंचामृत से  स्नान करायें।
*  केसर के आठ लोटे जल चढ़ाये
*  पूरी रात्रि दीपक जालायें।
*  चंदन का तिलक लगायें।
* तीन बेलपत्र, भांग धतूरा, जायफल, कमल गट्टे,     मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढा़यें।
अंत में केसर युक्त खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांधे।

    महत्वपूर्ण मंत्र-

*  ओम नमो भवते रूद्राय
*  ओम नम: शिवाय रूद्राय नम:
शम्मवाय भवानी पतये नमो नम:
का जाप करें।

    दुर्लभ योग –

इस वर्ष 117 साल बाद शनि और शुक्र  का दुर्लभ   योग  बन रहा है। 1903 में इस तरह  का  योग बना   था।

विद्वानो के अनुसार अपने राशि मकर व शुक्र अपने     राशि मिन में स्थित रहेंगे। इस वर्ष गुरु भी अपनी   स्वराशि मिन में  विराजमान रहेंगे। अत:सिर्फ पूजा से   ही दोष मुक्त हो जाएगा।

   वर्जित सामग्री –

* शंख जल, पुष्प, तुलसी, तिल, टूटे चावल  व     कुमकुम।

    वर्जित  वाद्य  – करताल।

अब मैंने अपने शब्दों में शिव महिमा को कविता का रूप दिया है, अत: आप सभी का प्यार व टिप्पणी अपेक्षित है।

                       कविता

जय जय हे भोले शिव शंकर
आदि शक्ति के तुम हो प्रियवर
भूत बैताल संघ चढ़ी नंदी पर
ब्याह ले आये तुम गौरी घर

नन्दीगण सन्मुख नतमस्तक
नीलकण्ठ पर शोभित बिषधर
आनंदित गजपति मूषक पर
शिव गौरी पूजत नारी  नर

ले आई पूजन की  थाली
होईं दयाल हे औघड़दानी
देवों में  हो महा तुम दानी
अबकी झोली ना जाये खाली

ओम नम: शिवाय जपूंगी
तेरे शरण में हक से रहूंगी
करो कृपा जय जय शिव शंकर
सुनलो पुकार हे दयाशंकर

पार्वती के  तुम हो स्वामी
तुम हो हे प्रभु  अंतर्यामी
अन्तरमन का हाल तू जाने
महिमा सारी दुनिया  माने

शिव रात्रि  को जो पूजन करता
पल भर में सब दु:ख शिव  हरता
जल लोटा भरी नर जो  चढा़वे
दोष मुक्त पलभर में हो जावे

करी उपवास नर तुम्हें  मनावे
कन्या कुंवारी मन वांछित फल पावे
योगी संत सब ध्यान लगावे
मोक्ष प्राप्ति के आस लगावे

धन्यवाद पाठकों
रचना-कृष्णावती

Mahahivratri ka mahatv and poem

                           Poem

    Jai jai he bhole shiv Shankar
Aadi shakti ke tum ho priyvar
Bhut baital sangh chadhi nandi par
Byah le aaye tum gouri ghar
    Nandigan sanmukh natmastak
    Nilkanth par shobhit vishdhar
    Aanandit gajapati mushak par
    Shiv gouri pujat nari nar
    Le aai pujan ki thali
   Hoin dayal he aughardani
   Dewon men ho Maha tum daani
   Abki jholi na jaye khali
    Omnamh shivay japungi
    Tere sharan men hq se rahungi
    Karo kripa jaiy jaiy shiv shankar
    Sunlo pukar he daya shankar
   Parvati ke tum ho swami
   Tum ho he prabhu antaryami
   Antarman ka hal tu jaane
   Mahima Sari duniyan mane
   Shivratri ko jo pujan karta
   Palbhar men sab dukh shiv harta
   Jal lota bhari nar jo chadhave

   Dosh mukt palbhar men ho jaave

 

 Kari upvas nar tumhe manawe
         Kanya kunwari manwanchhit phal pawe
 Yogi sant sab dhyan lagawe
 Moksh prapti ke aas lagawe.

 Dhanyavad pathko.

  Rachana -Krishnawati Kumari

 

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