Jivan ka Sahi Arth Bhagwat geeta ke 20 Shlok men

भगवद गीता ग्यान का वह सागर है जिसका मंथन करना या समझा पाना हम जैसे अज्ञानियों के लिए असंभव है। फिर भी मैंने भगवान श्री कृष्ण जी का नाम लेकर आप सभी के साथ इन 20 श्लोकों का हिन्दी रूपान्तरण साझा कर रही हूँ।
जिसको हम सभी सरल भाषा में समझकर अपने जीवन में अमल करेंगे। मित्रों श्रीमद् भगवद् गीता हिन्दू धर्म का बड़ ही महत्वपूर्ण एवं पवित्र ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में एक एक श्लोक जीवन जीने की कला सिखाता है।
भगवद गीता सिर्फ भारत को ही नहीं पूरे दुनिया को नई दिशा देने वाला ग्रन्थ है। सभी धर्मों का अपना एक एक ग्रन्थ है जिसमें जीवन जीने का सही मार्ग दर्शन दिया गया है।
आइए भगवद् गीता के उन 20 श्लोकों का हिन्दी रूपान्तरण से लाभान्वित हुआ जाय–
1•कृष्णजी अर्जुन से कहते हैं कि, हे पार्थ! सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति को प्रसन्नता नहीं, इस लोक में मिलती है, नहीं परलोक में।
2• क्रोध से भ्रम पैदा होता है। भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है और जब बुद्धि व्यग्र होती है तो तर्क नष्ट हो जाता है। तब समझो यहीं से व्यक्ति के पतन का आरम्भ हो जाता है।
3• मन की लगाम को अपने हाथों में रखें। ,जो मन को नियंत्रित नहीं रखते ,उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।
4• भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं, उठो और मंजिल की ओर बढ़ो। आत्म ग्यान के तलवार से काट कर अपने हृदय से अग्यान के संदेह को अलग कर दो। अनुशासित रहो,उठो और अपना कर्म करो।
5• अपने विश्वास को अटल बनाओ। मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है वैसा वह बन जाता है।
6 • भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि, अपने को इन तीनों द्वारों से खुद को दूर रखो। नर्क के तीन ही द्वार है वासना, लोभ और क्रोध। सदैव इनसे दूर रहो।
7• भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि, हर एक पल कुछ सिखाता है। इस जीवन में कुछ न कुछ नया होता है। इस जीवन में ना कुछ खोता है नााही व्यर्थ होता है।
8• अभ्यास आप को सफलता दिलाएगा। भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से उसे भी बस में किया जा सकता है।
9• भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि, सम्मान के साथ जियो। लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे। सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान मृत्यु के बराबर है।
10• भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं,खुद पर विश्वास रखो। व्यक्ति जो चाहे बन सकता है।यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर ध्यान लगाकर चिन्तन करे।
क्या है जीवन का सही अर्थ जाने भगवद् गीता के 20 श्लोकों के हिन्दी रूपान्तरण में
11•कमजोर मत बनो। भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि हर व्यक्ति का विश्वास उसके प्रकृति के अनुसार होता है।
12• मृत्यु सत्य है इसे नकारा नहीं जा सकता है। भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है। जितना की मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसीलिए जो अपरिहार्य है उसके लिए शोक मत करो।
13• कुछ भी ऐसा मत करो जिससे खुद को तकलीफ हो। भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है। इसीलिए ऐसे कर्म से दूर रहो जो खुद को तकलीफ देह हो।
14• भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं,मेरे लिए सभी एक समान हैं।मैं सभी प्राणियों को एक समान देखना है। ना मुझे कोई कम प्रिय है ना अधिक। लेकिन जो मेरी आराधना श्रद्धा पूर्वक करते हैं वो हमारे भीतर रहते है और मैं उनके जीवन में आता हूँ।
15•
बुद्धिमान बनो। भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में आनंद नहीं लेता है। वह अपने कर्म के प्रति अग्रसर रहता है।
16• भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं ,सभी मुझसे है । मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ। मैं ही अग्नि की ऊष्मा हूँ। सभी जीवित प्राणियो का जीवन और संन्यासियो का आत्मसंयम हूँ। यह श्रृष्टि मुझसे ही उत्पन्न हुई है और मुझमें ही समा जायेंगी।
17• मैं प्रत्येक वस्तु में वास करता हूँ। भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं, कि भगवान प्रत्येक वस्तु में हैं। मैं सबके उपर भी हूँ।
18•भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि ग्यान दूसरों से अलग बनाता है। मैं उन्हें ग्यान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और मुझसे प्रेम करते हैं।
19•भगवान कहते हैं कि खुद का कार्य करो। किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है अपना काम करें। भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े।
20• डर छोड़ कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहो। भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है। जो वास्तविक ना कभी था और ना कभी होगा। जो वास्तविक है वह हमेशा था। वह कभी नष्ट नहीं किया जा सकता। जीवन की सच्चाइयों को भगवद् गीता खुद में संजोये हुए है।
मित्रों यदि हम लोग भगवद गीता के इन श्लोकों को अपने जीवन में उतार ले तो हमें कभी भी असफलता का मुुंह नहीं देखना पड़ेगा।
धन्यवाद दोस्तों
संग्रहिता-कृष्णावती कुमारी
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