Janen Kartik Maas Ki Katha.
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार 12हो महिनो में कार्तिक मास विष्णु भगवान को अत्यंत प्रिय है। इस महिने में श्री हरि की पूजा अनेको विधि विधानो मेेें से यदि एक भी विधि से हरि की पूजा की जाती हैै तो श्री हरि अत्यन्त प्रसन्न हो जाते है।
इस मास का शुरूवात शरद पूर्णिमा के अगले दिन एकम से होता है I कार्तिक मास में एकम से लेकर पूर्णिमा तक गंगा स्नान को बड़ा ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है I
इस महीने में श्रद्धालु प्रति दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करते हैं,तुलसी जी की पूजा करते है l संध्या समय गंगा किनारे घी का दिया जलाते है। तुलसी जी के पास भी भक्त दीपक जलाते है।
इस महीने में केले और तुलसी पौधे का दान करना, भूमि पर शयन करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना फलदायक माना जाता है। माना जाता है कि कार्तिक मास का व्रत रखने वाले व्यक्ति को किसी की निन्दा करने और गलत आचरण से परहेज करना चाहिए। अनेकों विधि विधान से इस महीने में भक्त विष्णु भगवान की पूजा करते हैं l
मंदिर में पूजा पाठ करना फलदायक माना जाता हैं I तत्पश्चात मंदिर मेें पुजारी बाबा कहानी सुनाते हैं I आइये हम सभी इस कहानी से परिचित होते हैं जो निम्नवत है:-
एक समय की बात है। एक गाँव में एक बुजुर्ग बुढ़ी माता रहती थी जो बहुत ही गरीब थी। उनके आंखों से दिखाई नहीं देता I बुढ़ी माता के परिवार में कुल मिलाकर चार सदस्य थे। जिसमे बुढ़ी माता, बुढ़ी माता के पति, बेटा और बहू थे।
बुढ़ी माता के पति सदैव बीमार रहते थे। बुढ़ी माता बहुत चिन्तित रहती थी। बुढ़ी माता प्रति दिन गणेश जी की पूजा करती थी।बुढ़ी माता का गणेशजी के प्रति अटूट श्रद्धा था।एक दिन बुढ़ी माता की भक्ति से प्रसन्न होकर गणेश जी दर्शन देने के लिए मजबूर हो गये।

जब बुढ़ी माता पूजा कर रही थी, उसी समय गणेश जी बुढ़ी माता के समक्ष प्रकट हो गए। अति प्रसन्नता पूर्वक बुढ़ी माता से बोले- हे माता आप को जो चाहिए मुझसे वर मागो। बुढ़ी माता बोली- हे कृपा सिन्धु मुझे माँगना नहीं आता l
गणपति जी बोले-हे माता जब मैं आ ही गया हूं तो बिना दिए ऐसे लौट कर नहीं जाऊंगा I बुढ़ी माता बोली -हे प्रभु, जीवन में पहली बार आप सामने आये हैं I मुझे नहीं समझ आ रहा है कि आपसे क्या मांगू l
आपके दर्शन मात्र से ही हमारी सारी इच्छा समाप्त हो गई l गणेश जी मुस्कराते हुए बोले: मैया मैं कल फिर आऊंगा, आप सभी एक साथ विचार कर लेना I गणेश जी मुस्कराते हुए चले गए l बुढ़ी माता सारी बात अपने बेटे से बताई l
बेटा ने अपनी मां से बोला- माँ गणेश जी से धन मांग लो l फिर बहु से पूछा- बहु ने बोला माताजी पोता मांग लो l फिर बुढ़ी मााता ने अपने पति से पूछा-पति बोले, मेरे लिए स्वास्थ्य मांग लो मैं निरोग हो जाऊँगा I
बुढ़ी माँ ने सोचा यहां तो सभी अपने अपने स्वार्थ में हैं l सोचा चलो पड़ोसन से पूछकर आती हूँ l जब पड़ोसन से पूछा तो पड़ोसन ने कहाः अपनी आंखें और हाथ पैर ठीक रहे, यह मांग लो l अब बुढ़ी माँ सारा दिन सोचती रही I
रात हुई बुढ़ी माँ सुबह उठ कर गणेशजी की आराधना करने लगी l तभी गणेशजी प्रकट हुए l बोले माता सोच लिया, बोलो क्या मांगती हो? तब बुढ़ी माता बोली हे कृपा सागर आप ऐसी कृपा करे कि हमे सोने के कटोरी मे दुुग्ध भात खाते हुए पोता देें।
अमर सुहाग और सभी को सुख देें। तब गणेश जी बोले: हे माते तुने तो मुझे ठग लिया। कहती हो कि मागने नही आता और सब कुछ मांग लिया। फिर गणेश जी बोले तथास्तु और अन्तर्ध्यान हो गये। बुुढ़ी माता का जीवन बदल गया।
धन धान्य से सम्पन्न हो गई। काया निरोग हो गया। पति स्वस्थ हो गये। दु:ख का बादल छट गया। सुख के दिन आ गये। इसी उद्देश्य से सभी श्रद्धालू कार्तिक मास मेें श्री हरि का ध्यान करते है। जय गणेश जय श्री हरि।
NNote: य़ह जानकारियां internet paper पत्रिका aur बड़े बुजुर्गों से मौखिक सुनी हुई है जिसे एकत्रित करके आप सभी के समक्ष प्रस्तुत किया गया है I
दोस्तोों धन्यवाद ,
रचना- कृष्णावती कुमारी
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