Jane bhagwan Shree Krishn ki 10 nitiyan
साथियों अब हम जानते हैं कि, भगवान श्रीकृष्ण ने कैसे सम्पूर्ण जगत के कल्याण के लिए गोकुल वृंदावन को ही नहीं छोड़ा, बल्कि सबसे प्रिय बांसुरी और उससे भी प्रिय राधा रानी को भी छोड़ दिया था I
साथियों , राधारानी और अपने सबसे प्रिय बांसुरी को भगवान कृष्ण ने इसलिए छोड़ा क्योंकि उन्हें अधर्म के साम्राज्य को ध्वस्त करना था I भगवान श्री कृष्ण का संपूर्ण जीवन अधर्म के विरुद्ध एक युद्ध था और उनके जीवन का अंतिम युद्ध महाभारत था I
साथियों महाभारत काल से आज तक खेल और मैदान बदलते रहे l लेकिन युद्ध में जिस तरह छल कपट का खेल चलते आया है उसी तरह से आज भी जारी है l ऐसे में सत्य को कई मोर्चे पर हार का मुंह देखना पड़ता है क्योंकि हर बार कोई कृष्ण सत्य का साथ देने वाले नहीं होता I भगवान श्रीकृष्ण की नीतियां ऐसी है जो बहुत ही कारगर सिद्ध होती है जिसका उल्लेख निम्नवत हैं :-

नीति
▪︎1 नीति –
य़ह स्पष्ट होना चाहिए कि कौन किधर से है I
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि कुल और कुटुंब से बढ़कर देश है l देश से बढ़कर धर्म है और जब धर्म का नाश होता है तो देश और कुल दोनों का नाश हो जाता है I जब कुरुक्षेत्र में धर्म युद्ध का प्रारंभ हुआ तो युधिष्ठिर दोनों सेनाओं के मध्य में खड़े होकर कहते हैं कि मैं जहां खड़ा हूं उसके नीचे एक ऐसी रेखा है जो धर्म और अधर्म को बांटती है I
निश्चित ही एक ओर धर्म और अधर्म नहीं हो सकता I उन्होंने कहाः कि जो भी य़ह समझता है कि शत्रु पक्ष की ओर धर्म है तो उनके तरफ चला जाय और जो हमारी ओर समझता है तो हमारी ओर चला आए I य़ह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि कौन किधर है I कौन शत्रु है और कौन मित्र है I
इस प्रकार युद्ध में कोई संशय नहीं रहता है I फिर भी ऐसा देखा गया था कि कुछ ऐसे योद्धा थे जो विरोधी खेमे में होते हुए भी भीतर घात का काम करते थे I इसीलिये लोगों की पहचान करना बेहद ज़रूरी होता है I
▪︎2 नीति-
संधि या समझौते को तब नहीं माननी चाहिए I
साथियो भीष्म पितामह ने युद्ध के कुछ नियम बनाए थे I भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के नियमों का तबतक पालन किया जब तक अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसा कर उसे युद्ध के नियमों के विरुद्ध निर्ममता से मारा नहीं गया I अभिमन्यु श्री कृष्ण का भांजा था I
श्री कृष्ण को अभिमन्यु के मौत से असहनीय पीड़ा हुई और उन्होंने तभी तय कर लिया कि अब युद्ध में किसी भी प्रकार के नियमो को नहीं मानना है I इससे य़ह सिद्ध हुआ कि k कोई भी संधि समझौता अटल नहीं होता I यदि उससे राष्ट्र का, धर्म का ,सत्य का, अहित हो रहा हो तो उसे तोड़ देना चाहिए I भगवान ने युद्ध में शस्त्र ना उठाने की प्रतिज्ञा को तोड़ कर धर्म की ही रक्षा किया था I
▪︎3 नीति-
शक्तिशाली से कूट नीति के द्वारा काम लेना चाहिए I
दोस्तों जब दुश्मन शक्तिशाली हो तो सीधे लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए I उसके साथ कूट नीति का रास्ता अपनाना चाहिए I भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया वन और जरासंध के साथ यही किया था I कालिया वन को मुचकुंद के हाथों मार वाया और जरासंध को भीम के हाथों मारवाया I
ये दोनों ही योद्धा सबसे शक्तिशाली थे I लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के पहले ही निपटा दिया था I दर असल सीधे रास्ता सफलता पाना आसान नहीं होता I खासतौर पर तब जब आपके विरोधियों का पाला भारी हो I ऐसे में कूट नीति का रास्ता ही अपनाना चाहिए I
▪︎4 नीति-
संख्या नहीं साहस और सही समय की जरूरत होती है l
दोस्तों युद्ध में संख्या बल महत्व नहीं रखता बल्कि साहस नीति और सही समय पर शस्त्र का उपयोग करना महत्पूर्ण होता है I साथियो पाण्डवों की संख्या कम थी परंतु भगवान श्रीकृष्ण के नीतियों के चलते युद्ध में विजय हुआ I
घटोत्कच को युद्ध में तभी उतारा जब उसकी जरूरत थी I उसका बलिदान व्यर्थ नहीं गया I उसके कारण ही कर्ण को अपना अमोघ अस्त्र (शक्ति अस्त्र) घटोत्कच को मारने में गंवाना पाड़ा I जिसे वह अर्जुन पर चलाना चाहते थे I
▪︎5 नीति-
प्रत्येक सैनिक को राजा समझें l
साथियों जो राजा या सेनापति अपने एक एक सैनिक की प्राण की रक्षा औऱ उन्हें राजा के सामान मान सम्मान देता है जीत उसकी सुनिश्चित होती है I एक सैनिक की जिंदगी अमूल्य है I पांचों पण्डावो ने अपने साथ युद्ध कर रहे सभी सैनिकों को बचाया था I वो देखते थे कि हमारे सैनिकों पर शत्रु पक्ष भारी पड़ रहा है तो तुरंत सहयता के के लिए पहुंच जाते थे I
▪︎6 नीति-
अधर्मी को मारते समय सोचना नहीं चाहियेl
साथियो जब दुश्मन को मारने का मौका मिलता है ,तो उसे नहीं छोड़ना चाहिए I यदि वह बच गया तो निश्चित ही सिर दर्द बन जाएगा I अगर वह बच जाएगा तो वह आपके हार का कारण बन सकता है I इसीलिए कर्ण और द्रोण के साथ ऐसा ही किया गया था I
▪︎7 नीति-
निष्पक्ष या तटस्थ पर ना करे भरोशा।
साथियों जो निष्पक्ष और तटस्थ या दोनो ओर है इतिहास उनका भी अपराध लिखता है। दरअसल वहीं व्यक्ति सही है जो धर्म सत्य और न्याय के साथ है I निष्पक्ष तटस्थ और जो दोनो तरफ है उसपर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए I
▪︎8 नीति-
युद्ध के जोश में ज्ञान जरूरी है I
इस नीति के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के समय अर्जुन को भागवत गीता का ज्ञान दिया था I य़ह सबसे अद्भुत था I कहने का तात्पर्य यह है कि, जीवन के किसी भी मोर्चे पर युद्ध भले ही लड़ रहा हो। परन्तु उसे ग्यान सत्संग और प्रवचन को सुनते रहना चाहिए। इससे व्यक्ति को मोटिवेशन मिलता है। जिससे अपने जीवन का लक्ष्य भेदने मेें सरलता होती है।
▪︎ 9 नीति-
युद्ध की योजना जरूरी होती है I
दोस्तों जिस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध की योजना बनाई थी I उसी तरह अपने जीवन को भी योजना वध तरीके से जिया था I मतलब कि योजना वध तरीके से भविष्य को देखने वाला निरंतर सफल होता है I
▪︎10 नीति –
भय को जितना जरूरी है I
भगवान श्रीकृष्ण कहते है कि संकट के समय हार कर बैठना नहीं चाहिए I बल्कि हिम्मत से काम लेना चाहिए I धैर्य को अपने नियंत्रण मे रखना चाहिए I धैर्य नहीं खोना चाहिए I बल्कि सफ़लता नहीं मिलने के कारण को जान कर आगे बढ़ना चाहिए I समस्याओं का सामना करना चाहिए I अगर आप एक बार भय को जीत लिये तो जीवन जीने की कला आपमें है I
धन्यवाद दोस्तों,
संग्रहिता-कृष्णावती कुमारी
Note- सभी जानकारियां इन्टरनेट पत्रिका से संग्रह की गयी है I
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