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The Story of Jesus Christ

The Story of Jesus Christ|जिजस क्राइस की कहानी

The Story of Jesus Christ – मीका भविष्य वक्ता के अनुसार The Story of Jesus Christ  ईशा मसीह का जन्म बेतलेहेम एप्राता मे  होगा  का  वर्णन उनके पुस्तक के पाचवे अध्याय मे मिलता है ।यानि लगभग  दो हजार साल पहले की बात है  |एक यूसुफ नामक बढ़ई  था |वह इजराइल के गाँव में रहता था |

उसकी मंगेतर का नाम मैरी  था| मैरी बड़ा ही दयालू और नेक दिल थीं |  जिससे भगवान बहुत खुश होकर इस नेक काम के लिए मैरी को ही चुना | एक रात मैरी अपने बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहीं थीं | तभी एक परी  यानी  भगवान का देव दूत  मैरी के सामने प्रकट हुआ|देवदूत भगवान का संदेश मैरी को सुनाने लगा | मैरी, आपको  भगवन ने  एक विशेष कार्य के लिए चुना है |

मैरी आश्चर्य से बोली मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है | आप क्या कहना चाहते हैं,lभगवान का देव दूत मैरी से बोला कि- आपके घर एक दिव्य बालक जन्म लेगा | इसी लिए ईश्वर ने आपको  इसके लिए चुना है | वह एक महान व्यक्ति होगा l जो दुनिया को बदल देगा | मैरी आश्चर्य से चौक कर उठ जाती है |मैरी कुछ दिनों बाद गर्भवती हुई |

The Story of Jesus Christ| बेतलेहम शहर मे जनगणना –

इसी बीच बेतलेहेम शहर में जनगणना आयोजित की गई थी। राज्य के सभी व्यक्तियो को  उसमे भाग लेकर अपना नाम लिखवाना था I इसी लिए मैरी भी बेतलेहेम के लिए गदहे पर सवार होकर रवाना  हुई I बेतलेहेम बहुत भीड़भाड़ वाला शहर था I जहां सभी विश्राम घर लोगों से भर्रा हुआ था I 

जिसके कारण उन्हें कहीं आराम करने की जगह नहीं मिली l बड़ी खोजबीन के बाद एक व्यक्ति मिला, बोला मेरे पास एक जगह है जो कुछ खास नहीं है I परंतु सुरक्षित हैl  जहां कुछ पालतु जानवर गाय गदहे और कुछ मुर्गियां भी हैं I यानि  वह स्थान  स्तबल था जहां  मैरी और यूसुफ  आश्रय लिए I 

उस स्थान को पाकर दोनों  उस व्यक्ति के शुक्र  गुजार  हुए कि  कहीं भी आराम करने के लिए स्थान तो मिला I उस स्थान पर घास के अलावा लेटने के लिए कुछ नहीं था I मैरी को प्रसव पीड़ा होने लगी I  इधर युसूफ घास को इकट्ठा करके लेटने की व्यवस्था करने लगे I एक तरफ मैरी प्रसव पीड़ा से व्याकुल थी I 

तभी ईशू मसीह का जन्म हुआ I वहां उनके सहयोग के लिए चरवाहों के अलावा  कोई नहीं था I इशू मसीह का जन्म हुआ और बहुत जल्द ही सारी दुनिया को पता चल गया कि एक दिव्य बालक का जन्म मैरी  के द्वारा जन्म हुआ है I

बेतलेहेम से बहुत दूर आसमान में  तीन बुद्धिमान व्यक्तियों को एक  चमकता हुआ उज्जवल सितारा उनके काफी समीप आता हुआ दिखाई दिया  I उस चमकते सितारे से आवाज आई कि अब आप सभी इस क्रूरता भरे माहौल से मुक्त हो जायेगेI एक दिव्य  बालक जन्म लेगा। जो आप सभी का रक्षक होगा I मशीहा होगा।

The Story of Jesus Christ|ईशु मसीह का जन्म कैसे हुआ?

मैं संकेत बताता हूं । बच्चा कपड़े में लिपटा एक स्तबल मे होगा। कहते है वह सितारा क्रिसमस का सितारा था। उस सितारा के आकाश वाणी से वे तीनों व्यक्ति ( तीनों व्यक्ति ज्योतिषी थें)इशू से मिले l वह तीनों  ज्योतिषी दिव्य बालक इशू के चरणों में गिरकर प्रार्थना किये और नए राजा के रूप में मानने लगे I

 य़ह सुनकर  वहा का राजा इशू मसीह से जलने लगा I डर गया कि कहीं हमारा राज्य  लूट ना  जाय और इशू को अपना प्रतिद्वन्द्वी समझने  लगा I राजा क्रूरता पूर्ण राज्य में जितने 2 साल के उम्र के  बच्चे थे सबकी हत्या करने का आदेश अपने सैनिकों को दे दिया l

राजा  को यह  पता नहीं था कि कौन सा बच्चा इशू  है I इस नरसंहार  से किसी तरह इशू का परिवार छुपते छुपाते मिस्र  पहुँचा I राजा के मरने के बाद ही अपने  घर वापस लौटे I यीशु हमेशा से और बच्चों से बिल्कुल अलग था I वह शास्त्रों को अच्छे से  पढ़  सकता था I शास्त्रार्थ भी कर  सकता था I

यीशु सभी प्राणियों से प्रेम करते थे I  भाई चारे और एक दूसरे की मदद करने की शिक्षा देते थे I जिससे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ती गयी I उनके बताये मार्ग पर लोग चलने लगे I यीशु जहां भी खड़े हो जाते थे I एक सुदृढ़ समाज का निर्माण हो जाता था I

The Story of Jesus Christ|यहूदी राजा की क्रूरता किस तरह की थी?

उन्हे  सभी भगवान मानने लगे थे I परंतु वहां का राजा और पूरे यहूदी समाज उनसे नफरत करती थी I उन्हें भगवान मानने से परहेज करते थे l नफरत इस कदर सिर चढ़कर बोलने लगा कि इशू मसीह को क्रूरता से मौत के घाट उतार दिया गया I दिल से निकली दो पंक्तियां हाजिर है I उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी I

                                                                       कविता

जब मानव ही दानव हो,

तब कहां  मानवता रह जाती।

चाहे  कुसूर हो या ना हो ,

सूली चहूं ओर नजर आती ।

 

जिसे लोभ सत्ता  की सताती हो,

वह कान का कच्चा तो होता ही है ।

वह आंख से  भी अंधा  होता है ,

 वह दिल से तो बुरा होता ही है ।

 

दोस्तों जितनी निर्ममता से इशू मसीह को मारा गया वह व्यवहार उस समय भी निंदनीय था और आज भी निंदनीय है I मेरा मानना है  कि भगवान  भी शायद इन अपराधियों को अपराध करने में सहयोग करता है I इशू मसीह को जिस कदर मारा गया क्या वह उचित है? जी नहीं, मेरा दिल इस निर्ममता की कड़ी निंदा करता है •••••••••••

धन्यवाद- प्रिय पाठकों 

संग्रहिता- कृष्णावती कुमारी 

Note-Read more:https://krishnaofficial.co.in/

 

 

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