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Janein Ramayan se Jude 13 Rahashy

Janein Ramayan se Jude 13 Rahashy |जानें रामायण से जुड़े 13 रहस्य

Janein Ramayan se Jude 13 Rahashy – रामायण के विषय  में भारत का कौन ऐसा व्यक्ति होगा जो नहीं जानता होगा परंतु आज भी हम सभी कुछ रहस्यों से  अंजान है Iतो आइये उन रहस्यों से  रूबरू हुआ जाए I साथियो सबसे  पहले  आपको ज्ञात हो कि रामायण की रचना महर्षि बालमीकि जी द्वारा की  गई  है।
रामायण की घटना पाचवी शताब्दी ईशा पूर्व की है। रामचरित मानस मे भी तुलसी दास जी द्वारा सामान्य वर्णन  मिलता है। अब आइए जानते है कि वह तेरह रहस्य कौन कौन से है ?सबसे पहला रहस्य  हैं:-
1-
साथियों  हम सभी जानते हैं, कि सीता स्वयंवर में जब रामजी ने शिव धनुष को तोड़ा था उसके बाद रामजी का विवाह सीताजी के साथ संपन्न हुआ I परंतु बहुतों को य़ह पता नहीं होगा कि शिव धनुष का नाम “पिनाक ” था I
2- साथियो जिस वन में राम लक्ष्मण एवं सीताजी वनवास काल  व्यतित कर रहे थे, उस  वन का नाम “दंडकारण्य ” था। वह वन लगभग 35600 वर्गमीटर  मे फैला हुआ था।जिसमे वर्तमान समय के वह क्षेत्र  छत्तीसगढ़ ओडिशा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के कुछ हिस्सों में था I वह क्षेत्र राक्षसों से भरा हुआ था।
 Jane Ramayan ke 13 rahasy
Jane ramayan ke 13 rahasy
3- साथियो ऐसा माना जाता है कि वनवास के चौदह वर्षों के दौरान लक्ष्मण अपने भैया भाभी के रक्षा हेतु कभी सोते नहीं थे I इसके कारण उन्हें “गुद्दाकेश” के नाम से भी जाना जाता है। वनवास के पहली रात जब लक्ष्मण जी सोते हुए राम सीता की रक्षा कर रहे थे तब उनके सामने निद्रा देवी प्रकट हो गई।
तब लक्ष्मण जी ने निद्रा देवी से वरदान मांगा की मुझे 14 वर्षो  तक भैया भाभी की रक्षा करने दें। आप मुझे निद्रा से वंचित रखे I मेरे बदले नीद हमारी पत्नी उर्मिला को दे दें। ततत्पश्चात निद्रा देवी  उर्मिला के पास चली गई। इस प्रकार उर्मिला 14 वर्षो तक सोती रहीं I 

 

4-हम सभी जानते है कि श्री रामचन्द्रजी विष्णु भगवान के अवतार थे I लक्ष्मण जी शेषनाग के अवतार थे I परंतु वहीं हम सभी य़ह नहीं जानते हैं कि भरत जी सुदर्शन चक्र के अवतार थे I शत्रुघ्न जी शैल शंख के  अवतार थे I

 

janein Ramayan ke 13 Rahasy 

 

5- साथियो य़ह जानकर हैरानी होगी कि जहां सीरियल और बुजुर्गों के मुख से हम सभी बचपन से ही  लक्ष्मण रेखा की बात सुनते आए हैं, उस लक्ष्मण रेखा का जिक्र नहीं बाल्मीकि रामायण में है नाही  रामचरित मानस में है I बल्कि उत्तरकाण्ड में मंदोदरी के  मुख से “लक्ष्मण रेखा” का उल्लेख मिलता है I
6- साथियों  राजा दशरथ जी की एक पुत्री यानी रामजी की एक बहन भी थीं जिनका नाम ‘शांता’ था I वह रामजी से बहुत बड़ी थी I एक दिन अंग देश के राजा रोम पद अपनी रानी के साथ राजा दशरथजी से मिलने आए I
उसी समय बातचीत के दौरान अंग देश के राजा ने बहुत दुखी होकर बोला  कि मुझे कोई सन्तान नहीं है I य़ह सुनकर दशरथजी और रानी कौशल्या  द्रवित होकर अपनी बेटी शांता को उन्हें सन्तान के रूप में सौप दिए I
7- साथियो रामायण के हर 1000  श्लोक के बाद आने वाले हर पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है I आप सभी को ज्ञात हो कि गायत्री मंत्र में  भी 24 अक्षर होता है और बाल्मीकि रामायण में भी 24000 श्लोक है I
8- साथियो एक बार यज्ञ समाप्ति के बाद जब वरदान की बात आई, तो  इंद्र भगवान चिंतित हो गए कि प्रजापति ब्रह्म जी से कहीं कुंभकर्ण वरदान में हमारा इन्द्रासन ना मांग ले। इसी कारण इंद्र भगवान अति शीघ्र सरस्वती जी के पास गए I
सरस्वती जी से निवेदन पूर्वक बोले कि हे माता आप  कुंभकर्ण के जिह्वा पर बैठ जाए ताकि वह इन्द्रासान  के स्थान पर निद्रासन मांग ले।सरस्वती जी कुंभकर्ण के जिह्वा पर विराजमान हो गईं I तत्पश्चात  कुंभकर्ण इन्द्रासान के स्थान पर निद्रासन मांग लिया। जिसमे 6 महीना  निद्रासन मे रहना और 1दिन  जगना और  भर पेट  भोजन करना

9- साथियों रावण महाज्ञानी के साथ साथ महान कलाकार भी था I उसे वीना बजाने में महारत हासिल था I फिर भी वह कला को तबजो नहीं देता था I बस वीना बजाना अच्छा लगता था I इसीलिए उसके ध्वज में वीना अंकित था I रावण बचपन में बहुत डरता था क्योंकि उसके 10 सिर थे I

जाने रामायण के 13 रहस्य l

10- साथियों  बानर सेना की मदद से सीता जी को ढूंढने के लिए जो समुद्र पर पुल बना था,उस पुल की अवधि 17,50000 साल पुरानी है I नासा ने पाक जल डैम रूम्भ मध्य में भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाला एक पुल की खोज की है जिसकी लंबाई 30 किलोमीटर  है I वैज्ञानिकों के मुताबिक यह पुल रामयाण के समय के पुल के ही मुताबिक है I इस पुल को ‘आदम’ के नाम से जाना जाता है|

 

11- साथियो रावण को पता था कि वह कैसे मारा जाएगा I भाइयों के समझाने पर रावण बोला था कि यदि राम लक्ष्मण साधारण मानव होंगे, तो मैं उन्हें परास्त कर दूँगा I तब सीता मेरी हो जाएगी I अगर वह देवता होंगे तो मैं उनके हाथों मोक्ष प्राप्त कर लूँगा I

 

12- साथियो श्री राम द्वारा लक्ष्मण जी को मृत्युदंड दिया गया था I यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब यम एक बार राम जी के साथ वार्ता करने आए थे l यम ने श्री रामजी से कहा था कि यदि कोई हमारे वार्ता के बीच आएगा उसे आपको मृत्यु दंड देना पड़ेगा I उस वार्ता यानि यम और राम जी के वार्ता के समय में रामजी ने लक्ष्मण जी को द्वारपाल के रूप में खड़ा किया था।

परन्तु उसी बीच दुर्वसा ऋषि रामजी से मिलने आ गए। लक्ष्मण जी ने उन्हे रामजी से मिलने से मना किया I जिससे क्रोधित हो दुर्वासा ऋषि ने पूरे अयोध्या को श्राप देने की बात कह दिया l लक्ष्मण जी को अयोध्या को बचाने के लिए  अंदर जाना पड़ा I जिसे रामजी ने उन्हें मृत्यु दंड दे दिया l तब लक्ष्मण जी ने जल समाधि  ले लिया I

13- साथियो अग्नि परीक्षा के बाद जब सीताजी धरती माँ के गोद में समा गई I तब उसी समय रामजी ने भी सरयू नदी में जल समाधि लेकर धरती लोक का परित्याग कर दिया था I क्योंकि जहां सीता नहीं वहां राम कहाँ I

साथियो उम्मीद है आप सभी इस संग्रह से लाभान्वित होंगे

I Note- सभी जानकारियां इंटरनेट  पत्रिका इत्यादि से ली गई है l
धन्यवाद पाठकों,
संग्रहिता-कृष्णावती कुमारी

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