अगर हम यूँ कहें कि हमारा भारत त्योहारों का देश हैं, तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी I हिन्दुओं के सभी त्योहारों में य़ह सबसे पवित्र और प्रमुख त्यौहार है I
यहां सभी देवी देवता भी मनुष्य के रूप में अवतरित होकर नेम धर्म और धूम धाम से त्योहारों को मनाया है I एक अन्य कथा के अनुसार शनिदेव का जन्म महर्षि कश्यप के यज्ञ से हुआ था I जब शनि महाराज संवर्णा के पेट में थे I तब संवर्णा भगवान शिव की घोर तपस्या में लीन थी I
उस बीच अन्न जल तक ग्रहण नहीं किया I नतीजन शनि भगवान कुरूप पैदा हुए I शनि भगवान का रंग काला देख सूर्य देव ने संवर्णा के चरित्र पर संदेह किया और अपमानित करते हुए य़ह कह दिए कि य़ह मेरा पुत्र हो ही नहीं सकता I चुकि माँ की तप की शक्ति बालक शनि में भी आ गई थी I
माँ के अपमान को बालक शनि सह नहीं पाया और अपने पिता सूर्यदेव की ओर क्रोधित होकर अपनी आखों से देखा तो सूर्य का रंग काला पड़ गया l तब सूर्यदेव परेशान होकर शिवजी के शरण में गए l भगवान शिव ने उन्हें उनकी गलती से अवगत कराया l
उसके बाद सूर्यदेव ने अपने द्वारा हुई भूल के लिए शिवजी से क्षमा याचना किया I तब जाकर उनका रूप पूर्वत हुआ I परंतु बाप बेटे के रिसते में जो दूरियां हुई वह आज भी पिता सूर्यदेव और पुत्र शनिदेव के बीच में शत्रुता ही माना जाता है I
मकर संक्रांति का शाब्दिक अर्थ
मकर संक्रांति का शाब्दिक अर्थ होताहै, मकर राशि को दर्शाना और संक्रांति का अर्थ होता है, संक्रमण यानि संक्रमण को दर्शाना I खगोलीय पथ का चक्कर लगाते हुए सूर्य इस दिन मकर राशि में प्रवेश करते हैं I यह दिन ऋतु वसंत के आगमन का भी द्योतक है I
माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र से वैर भाव भूल कर उनके घर गए थे I यानि कि पुराणों के अनुसार सूर्य इस दिन मकर राशि में संक्रमण अर्थात प्रवेश करते हैं जिस राशि के स्वामी शनिदेव हैं I इसीलिए इस दिन को मकर संक्राति कहा जाता है I य़ह पौष मास में प्रति वर्ष दिनाँक 14 जनवरी को पूरे भारत में मनाया जाता है I ज्योतिष गणना के अनुसार किसी किसी वर्ष 15 जनवरी को भी मनाया जाता है I
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भी मान्यता है, कि इसी दिन गंगाजी भागीरथी के पीछे पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में जाकर मिलीं थीं I इसी लिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना गया हैIयह माना जाता है कि देवी देवता भी इस दिन धरती पर आकर गंगा स्नान किए थे I
मकर संक्रांति का महत्व –
मकर संक्रांति का पर्व भारत देश के सभी राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है I उतर भारत में इस पर्व को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है I इस दिन प्रात: काल में सभी गंगा स्नान कर सूर्यदेव को तिल गुड़ चढा़कर उनकी पूजा करते है। उसके बाद मंदिरों व ब्राह्मणों को दान देते है I भोजन कराते है और गरीबों को दान देते हैI
कुछ क्षेत्रों में “बिहार ” दही पोहा और खिचड़ी, चोखा, आचार, पापड़ खाया जाता है I साथ ही मीठा गुड़ चावल तिल से बना हुआ लड्डू भी बड़े शौक से खाया और अपने पड़ोसियों के साथ आदान-प्रदान किया जाता है I
माना जाता है कि संक्रांति के दिन सूर्यदेव की तिल गुड़ से पूजा करने से काया निरोग होता है I आज के दिन बच्चे बूढ़े सभी पतंग उड़ाते है I हालांकि पतंग उड़ाने का प्रचलन कुछ ही क्षेत्र में था I परंतु वर्तमान समय में सभी जगह पतंग उड़ाने का प्रचलन हो गया हैI पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य मकसद शरीर में धूप लगने से है I
मकर संक्रांति की पूजा-
पद्म पुराण पुराण के अनुसार, मकर संक्रांति में दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है I इस दिन स्नान ध्यान करने के बाद भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व हैI इस दिन भगवान सूर्य को लोग लाल वस्त्र, गेहूं,गुड़, मसूर ,दाल, तांबा, स्वर्ण सुपारी, लाल फूल,नारियल आदि दक्षिणा ब्राह्मणों और गरीबों को देने का शास्त्रों में विधान है I
लोहड़ी (Lohadi)
लोहड़ी का शाब्दिक अर्थ है-ल से लकड़ी, ओ से-उपला, ड़ी से-रेवड़ी I लोहड़ी पंजाब, हरियाणा,और हिमाचल प्रदेश में संक्राति से एक दिन पहले मनाया जाता है l य़ह प्रति वर्ष 13 जनवरी को शाम की लकड़ी उपला को इकठ्ठा करके पवित्र अग्नि से जलाते है l
इस जलते पवित्र आग में धान का लावा, रेवड़ी, गुड़, मक्का आदि डाल कर लोकगीत गाते नाचते हुए अपने परिजनों और पड़ोसियों के साथ परिक्रमा करते हैं I यह जश्न बड़े धूम धाम से तब और मनाया जाता है जब किसी के घर मे नई बहू आई हो I यहां भी खासकर सुख समृद्धि और नावा फसल की कटाई के खुशी में ही इस उत्सव को मनाया जाता है l
पोंगल (Pongal)
वहीं दक्षिण भारत के केरल और तमिलनाडु में इस त्यौहार को पोंगल के नाम से जाना जाता है I पोंगल का मतलब उफान व विप्लव होता है I य़ह तमिल हिन्दुओं का मुख्य त्यौहार है l जो 14-15 जनवरी को मनाया जाता है I य़ह पर्व नवान्न यानि नई फसल की कटाई के खुशी में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है I पारंपरिक रूप से सुख समृद्धि लाने के लिए सूर्यदेव, वर्षा तथा खेतिहर मवेशियों की आराधना की जाती है I
माघ बिहू (Magh Bihu)
देश की संस्कृति और विविधता के चलते सभी राज्यों में अलग अलग तरीके और नामों से संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है I असम मे मकर संक्रांति को ”माघ बिहू” के नाम से जाना जाता है I इस दिन लोग प्रात: उठकर घर द्वार की सफाई करते हैं I फिर नहा धोकर साफ और नए कपड़े कपड़े पहनते हैं I
असम के लोग अपने गाय के उपले और पुरानी लकड़ियों को आग लगाकर उसमें अपने पुराने कपड़े को जलाते हैं I उसके बाद अपने पशुओं और धरती माँ की पूजा करते हैं I हिन्दू मान्यता के अनुसार कुछ लोग इंद्र की भी पूजा करते हैं ताकि वर्षा समय समय पर हो और खेत में फसल अधिक मात्रा में हो I
खिचड़ी
मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहते है I इस लिए लोग इस दिन खिचड़ी खाते हैं और खिचड़ी चढ़ाते है I विश्व प्रसिद्ध उत्तरप्रदेश प्रांत के गोरखपुर में ‘बाबा गोरखनाथ ‘ को खिचड़ी ही चढ़ाया जाता है I जहां 30 दिन के लिए भव्य मेले का आयोजन होता है I मकर संक्रांति में प्रति वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाने आते हैं I माना जाता है कि यहां सबकी मानो कामना पूरी होती हैै ।
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