शरीर से प्राण कैसे निकलता है?(गरूण पुराण के अनुसार)
कैसे निकालता है शरीर से प्राण ? तो आइये जानते हैं कि शरीर से आत्मा किस प्रकार निकलती है I
गरुड़ पुराण में मृत्यु से सम्बंधित अनेकों गुप्त बातें बताई गई है I मृत्यु के बाद आत्मा यम लोक तक कैसे जाती है ? इसका विस्तृत वर्णन भी गरुड़ पुराण में किया गया है I आज के इस पोस्ट में आप सभी को कुछ ऐसी जानकारियों से परिचय कराऊंगी जो समान्य लोग नहीं जानतें हैं I
साथियों, इस पुराण के अनुसार जिस व्यक्ति की मृत्यु होने वाली होती है, उस वक्त वह व्यक्ति बोलना चाहता है I परंतु वह बोल नहीं पाता है क्योंकि उसकी सभी इंद्रियां काम करना बंद कर देती है I यानि बोलने सुनने आदि की शक्ति नष्ट हो जाती है और वह हिल डुल भी नहीं पाता है I
उस समय दो यम दूत आते हैं I जिस समय शरीर से आत्मा निकलती है ।आत्मा अंगूठे के बराबर होती है और यम दूत उसे पकड़ कर यम लोक ले जाते है I साथियों, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार राजा के सैनिक अपराध करने वाले व्यक्ति को पकड़ कर ले जातें है I
उस आत्मा को यमराज के दूत थकने पर विश्राम के स्थान पर डराते है और उसे नरक में मिलने वाले दुखों के बारे में बार बार बताते हैं I यमदूतो की ऐसी भयानक बातेँ सुनकर आत्मा जोर जोर से रोने लगती है l परंतु यमदूत उसपर तनिक भी दाया नहीं करते I
इसके बाद वह जीवात्मा आग की तरह गर्म हवा और बालू जिस पर वह चल नहीं सकती, भूख प्यास से तड़पती उसपर चलते चलते मूर्च्छित हो जाती है I उपर से यमदूत उस जीवात्मा के पीठ पर चाबुक से मारते हुए लेकर जाते है I इस प्रकार यमदूत अंधकार वाले रास्ते से जीवात्मा को यम लोक तक ले जातें है I
यमदूत आत्मा को कैसे ले जाते हैं?
गरुड़ पुराण के अनुसार यमलोक 99 हजार योजन अर्थात योजन वैदिक काल की लंबाई मापने की इकाई है I एक योजन बराबर होता है चार कोस I यानि 13 से 16 किलोमीटर I वहां तक यमदूत थोड़े ही समय में पापी जीव को लेकर चले जाते हैI इसके बाद यमदूत इसे सजा देते है I
तत्पश्चात वह आत्मा यमराज की आज्ञा से यम दूतों के साथ अपने घर आती है और अपने शरीर में वह प्रवेश करना चाहती है I लेकिन यमदूत के बंधन से वह मुक्त नहीं हो पाती है और भूख प्यास के कारण बिलखती है I
पुत्रों द्वारा दिए गए पिंड दान से भी वह तृप्त नहीं होती I इस प्रकार भूख प्यास से युक्त होकर वह जीवात्मा यमलोक जाती है I इसके बाद उस आत्मा के पुत्र या परिजन यदि पिंड दान नहीं करते तो वह प्रेत बन जाती है और लंबे समय तक सुनसान जंगलों में रहती है I
गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य के मरने के बाद 10 (दस) दिन तक पुत्रों या परिजनों को पिंड दान निश्चित ही करना चाहिए I पिंड दान से ही आत्मा को चलने की शक्ति प्राप्त होती है I साथियों शव को जलाने के बाद अंगूठे के बराबर का शव से शरीर उत्पन होता है I वहीं आत्मा यम लोक के मार्ग में शुभ अशुभ फल भोगता है l
शरीर से आत्मा निकालने के बाद कब तक भटकती है ?
पहले दिन पिंड से मुर्दा अर्थात सिर, दूसरे दिन पिंड दान से गर्दन और कंधा, तीसरे दिन पिंड के दान से हृदय ,चौथे दिन के पिंड दान से पीठ, पांचवे दिन के पिंड दान से नाभि, छठे और सातवें दिन के पिंड से कमर और नीचे का भाग, आठवें दिन से पैर, नवे और दसवें दिन से भूख प्यास आदि उत्पन्न होती है I
दोस्तों तेरहवें दिन यमदूत द्वारा पकड़ लिया जाता है I इसके बाद वह भूख प्यास से तड़पती हुई जीवात्मा अकेले ही यमलोक तक जाती है I यम लोक तक पहुंचने का रास्ता बैतरनी नदी को छोड़कर छियासी हज़ार योजन है I सैतालिस दिन आत्मा लगातार चलकर यमलोक पहुंचती है I इस तरह मार्ग में जीव सोलह पुरियो को पार कर यमराज के पास पहुंचता है I
साथियों य़ह गरुड़ पुराण से संग्रह किया गया है I भले ही विज्ञान आगे है I लेकिन कोई माने या ना माने, कोई तो ऐसी शक्ति है जिसका नियंत्रण इस दुनिया पर है I आज 2020 हमारे लिए ज्वलंत उदाहरण है I सारी दुनिया महामारी से पीड़ित है I
चारों तरफ त्राहि माम, त्राहि माम मचा हुआ है I किसी का बस नहीं चल रहा है I सारा देश प्रयोग में लगा हुआ है I लेकिन कोई निदान नहीं निकल रहा है II इसी कड़ी में मुझे आपने गुरुजी श्री रामप्रकाश मिश्र की दो पंक्तियाँ याद आ रही है l
“उहे बतिया होई जवन राम करी हे।
चाहें छल क्षद्म से संपदा हरे कोई ,
चाहें अपने जीने का, ,
लाख जतन करे कोई I
क्योंकि उहे बतिया होई।
जवन राम करीहे।”
धन्यवाद साथियों
संग्रहिता-कृष्णावती कुमारी
Note: सभी जानकारियां internet और पत्रिका से संग्रह की गई है I अच्छा लगे तो हमारी post ko अपने साथियों और पड़ोसियों के साथ अधिक से अधिक शेयर करें l आप सभी के आशीर्वाद और टिप्पणियों की अपेक्षा है I ताकि मेरा मनोबल बढ़े I
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