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Bhagwan Shiv Ke Bare Mein Failaye Gaye 5 Jhuth

Bhagwan Shiv Ke Bare Mein Failaye Gaye 5 Jhuth|भगवान शिव के बारे में फैलाये गए 5 झूठ

Bhagwan Shiv Ke Bare Mein Failaye Gaye 5 Jhuth- साथियों आज हम इस पोस्ट में जानेंगे भगवान शिव के बारे में फैलाये गए 5 झूठ। यदि आप शिव के सच्चे भक्त होंगे तो आपको यह मिथ्य जानकर हैरानी होगी।

इस पोस्ट में उन सभी झूठों  का खंडन किया जाएगा जो भगवान शिव के लिए अपमान जनक है। सती और पार्वती के पति भगवान शिव सदा शिव के कारण इन्हे शिव भी कहा जाता है। आइए जानते है कि समाज में कौन कौन सा झूठ फैलाए गये है और   पहला झूठ है क्या।

1•प्रथम झूठ-

सबसे पहला झूठ तो यह है कि शिव लिंग एक लिंग का प्रतीक है। लेकिन वास्तव में

शिव लिंग है क्या ?

साथियों कालांतर में बहुत से लोग शिव लिंग को योनि और शिश्न की तरह शिव लिंग की आकृति को गणा और उसके चित्र भी व्हाट्स एप और फेसबुक पर डालते रहते है और इस बारे में अलग-अलग टिप्पणियाँ करते रहते हैं। परन्तु इसके पिछे का सच कुछ और है। शिव लिंग का अर्थ है भगवान शिव का आदि अनादि स्वरूप।

शून्य आकाश आदि अनादि अनंत ब्रहमांड और निराकार परम पुरूष होने से इसे शिव लिंग कहा गया है। जिस प्रकार भगवान विष्णु का प्रतीक चिह्न शालिग्राम है उसी तरह शिव लिंग भी भगवान शिव का प्रतीक चिह्न है। इस पिण्ड की आकृति हमारी आत्मा की ज्योति की तरह है।
आज के वैज्ञानिक इसे न्यूक्लियर आर्ट रियेक्टर है मानते है। वे कहते है कि इसी के अन्दर सम्पूर्ण ब्रहमांड निहित है या यू कहें कि, सारा ब्रहमांड समाया हुआ है। अब आप से यदि कोई कुतर्क  करता है तो, आप दिये गये उपरोक्त जवाब से उनके मिथ्य का खंडन करें। और कहें कि भगवान शिव का आदि अनादि रूप जो कभी खत्म नहीं हो सकता। 
रामचरित मानस में भगवान राम ने भी स्पष्ट शब्दों में कहा है कि “जो व्यक्ति शिव का अपमान करता है वह मुझे सपने में भी प्राप्त नहीं कर सकता।

2•दूसरा झूठ

यह कि शंकर भगवान भांग गांजा और चिलम पीते है । फेसबुक व्हाट्स एप पर लोग तमाम इस तरह के पोस्ट सचित्र शेयर करते है जो सरासर गलत है।ऐसा जो लोग करते है वह भगवान शिव का अपमान करते है जो असहनीय है। “शिव पुराण” सहित अन्य सभी ग्रंथो में कहीं भी इसका जिक्र नहीं हैं कि भगवान शिव गांजा भांग पीते थे। असल में इसके पीछे की कुछ और ही कहानी है।

हम सभी  समुद्र मंथन की कहानी से अवगत है।साथियों जब समुद्र मंथन हुआ था तब सबसे पहले अमृत निकला था। उस समयअब बिकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई।यदि विष सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड में फैल जाता तो सम्पूर्ण ब्रहमान्ड नष्ट हो जाता।

इस परिस्थिति में सारा दायित्व भगवान शिव को सौपा गया। तब भगवान शिव ने उस उस विष का स्वयं पान कर लिया।जिसके कारण इन्हें नीलकण्ठ भी कहा जाता। विष पान के चलते जब शिवजी के गले में पीड़ा होती थी, तब वे अपने गले में चंदन और भांग का लेप लगाते थे।

3•तीसरा झूठ

सभी लोग इस बात पर चर्चा करते है कि,जब शंकर जी को यह पता था कि गणेश जी उन्हीं के बेटे है,? फिर  उन्होंने उनका गर्दन क्यों काट दिया और उसके बाद फिर गणेश जी के सिर पर हाथी का सिर लगा दिया। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अंजाने में गणेशजी का गर्दन काट दिया। अब प्रश्न यह उठता है कि जब वे स्वयं भगवान हैं, तो  कैसे नहीं ग्यात हुआ कि गणेश जी उनके बेटे हैं ?

साथियों, शंकर भगवान के जीवन चरित्र  लीला को जानना बहुत जरूरी है। उनके जीवन के चरित्र लीला को लीला इसलिए कहा जाता है कि वह वे सब कुछ जानकर अंजान रहते हैं और एक साधारण मनुष्य की भांति जीवन जीते है। लीला का अर्थ नाटक या लीला करना नहीं है, बल्कि एक ऐसा घटना क्रम हैजिसकी रचना स्वयं प्रभु ही करते हैं।

वे अपने भविष्य के घटना क्रम को खुद ही संचालित करते हैं और उसके साथ समाहित हो जाते हैं।दर असल भविष्य में होने वाली घटानाओं को अपनी तरह घटाने की कला को ही लीला कहते हैं। यदि ऐसा नही होता तो गणेशजी देवों में प्रथम पूज्य नहीं होते और देवों में शामिल नहीं होते।

उद्दहरण स्वरूप रामजी को सबकुछ मालुम था कि वन जाना है ,सीता हरण होगा ,मेरे हाथों रावण का मरण होगा।क्योंकि वे विष्णु के अवतार थे।सहदेव को भी महाभारत युद्ध का परिणाम मालूम था। लेकिन कृष्ण भगवान ने उन्हें चूप करा दिया गया था। इस तरह बारबरिक से पूछा गया तो बारबरिक ने कहा कि मैंने तो श्री कृष्ण के दोनो ओर की योद्दाओं को मरते हुए देखा है।यही तो है, भगवान की असली लीला। 

4• चौथा झूठ 

कुछ लोगों का मानना है कि क्रिसचन धर्म के आदम और इव शंकर भगवान और पार्वती जी हैं। लेकिन यह  बिल्कुल सही नहीं है। यह गलत है।कुछ लोगों का यह भी मानना है कि स्वयंम्भू मनु और शत्रुवाई आदम और हवा थे।  कुछ लोगों के बीच यह गलत धारणा पाल रखा है और भ्रान्तियां फैलाते रहते हैं जो स्वीकार नहीं है।

5• पाचवा झूठ

   आप सभी को मालूम ही है कि शिव की दो शादियां हुई थी। शिव का पहला विवाह राजा दक्ष की पुत्री सती से हुआ था, जो आग में कूद कर भस्म हो गई और दूसरा विवाह उमा से हुआ था जो कि पर्वत राज हिमालय की पुत्री थी।जिन्हें पार्वती भी कहा जाता है।शिव के दो पुत्र हुए।आप सभी को मालूम है कि गणेश और कार्तिके की उत्पति कैसे हुई। अब एक खास सवाल कि भगवान शिव ही शंकर,महाकाल,रूद्र,भैरव और महेश्वर है?

आइए हम जानते हैं कि क्या सही है । पहली बात तो यह कि हिन्दू धर्म का संबंध वेदों से है पुराणों से नहीं। त्रिदेवों में से एक महेश्वर को ही भगवान शिव व शंकर कहा जाता है। वेदों में रूद्रों का जिक्र हैऔर पुरणों में सभी की कहानियां विस्तार से बताई गई है।कुछ लोगों का मानना है कि शंकर और शिवजी एक ही हैं।

लेकिन साथियों, शंकरजी और शिवजी दोनों अलग अलग हैं। शंकरजी को शिव लिंग की तपस्या करते दिखाया गया है और शिवजी को “ब्रहमा विष्णु महेश” के रचईता के रूप में माना गया है। इस तरह शिवजी पुरे ब्रहमांड के रचईता हुए।इसलिए  इन्हें महादेव भी कहा जाता है। साथियों उम्मीद है आप सभी इस पोस्ट से अपका मिथ्य दूर हो जाए।  धन्यवाद।

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नोट- सभी जानकारियां पत्रिका और इनटरनेट के माध्यम से संग्रह की  गई है।

 

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